भारत के top 5 tropical rainforest, ये
ट्रॉपिकल रेन फारेस्ट उन क्षेत्रो में बसते है जो सालभर लगभग सामान्य से भारी
वर्षा प्राप्त करते है। इन जंगलो में बहुत सारे पेड़ है जिनकी वजह से सूरज की रौशनी
ज़मीन पर नहीं आती है। इसी वजह से ज़मीन पर वनस्पतियो की जो छोटी प्रजाति होती है
उनका विकास ना की बराबर होता है।
दोस्तों आज हम भारत के 5 सबसे घने और बड़े tropical rainforest के
बारे मे:-
1. अंदमान आइलैंड ट्रॉपिकल रेन फारेस्ट: भारत में ट्रॉपिकल सदाबहार वन का सबसे बढ़ियां उदाहरण अंदमान और निकोबार द्वीप समूह में पाया जाता है। ये जगह इसलिए भी विशेष है क्यों की यहाँ वनस्पतियों, पेड़ पौधो और जीवों की बड़ी विविधता है। अन्ना मंदिर समूह में दुर्लभ पौधे और पशु प्रजातिया है जिनके बारे में माना जाता है की वे म्यामांर, थाईलैंड और बांग्लादेश जैसे अन्य आसपास के देशो से पारित किये गए है। forest survey of india द्वारा प्रकाशित state of forest रिपोर्ट के अनुसार अन्ना मंदिर समूह का 84 प्रतिशत हिस्सा वनों से आच्छादित है, अंदमान द्वीप में जंगलो की 12 अलग अलग किस्म के है उनमे से कुछ 6 छोटे छोटे जंगले अंदमान के जंगले लकड़ी की 200 प्रजातियों के लिए घर है जिनमे से 30 व्यावसायिक है। ऐसा माना जाता है की अंदमान द्वीप समूह में 2200 से अधिक किस्म के पौधे उगते है जिसमे ये भारत के सबसे समृद्ध जीव मंडल बन जाते है। ये ट्रॉपिकल रेन फ़ॉरेस्ट पुरे साल में औसत 2000 मिमी वर्षा प्राप्त करते है।
2. ब्रह्मपुत्र वेल्ली सेमी एवरग्रीन फॉरेस्ट्स ब्रह्मपुत्र घाटी इस देश के उत्तर पूर्वी क्षेत्र का गौरव है इसके कुछ हिस्से जबकि बंगाल, अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड में है। मुख्यातया ये घाटी असम राज्य में स्थित है घाटी और सदाबहार जंगलो का घर है और देश में सबसे अधिक जल और मिट्टी का घर है और इसीलिए इसे भारत में सबसे अधिक उत्पादक क्षेत्र माना जाता है। रसीला साग़ के आलावा यह घाटी शानदार वनस्पति और जीवों के लिए भी जाना है। भारत मल्ल्यन के क्षेत्र कई प्रजातियों का इस घाटी में प्रभाव देखा गया है। कुछ वन्यजीवों की प्रजातिया इस जंगल में ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे तक ही सिमित है। इन प्रजातियों में से गोल्डन लंगूर, हिस्पिड हेयर, हूलोक गिब्बोन, स्टंप टेल्ड मकाक़ुए तक। ये प्रजातिया मुख्यतया इस घाटी में विस्तृत रूप से पाई जाती है। आसपास के लोगो द्वारा वर्तमान समय में इन जंगलो की भूमियो को घास के मैदान के रूप में और कृषि के लिए उपयोग में लिया जा रहा है।
3. नार्थ वेस्टर्न घात मोईस्ट डीसीडीऔस फॉरेस्ट्स: ज्यादातर महाराष्ट्र और कर्नाटक में पाए जाते है। नम पर्णपाती जंगलो का एक खंड पश्चिमी घाट के उत्तरी भाग में पाया जाता है। ये 30 हज़ार से भी ज्यादा वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। इसके घने वन आवरण बहुत समृद्ध है और पुरे दक्षिण-पश्चिम महाराष्ट्र से शुरू होते है और दक्षिण भारत में कर्नाटक और केरल तक फैले हुए है, जो की जो वनस्पतियों और जीवों से समृद्ध है। एक और अन्य क्षेत्र पश्चिम घाट जानवरों की 11 सौ से भी ज्यादा प्रजातियों से भरा पड़ा है। जिनमे से 200 से भी अधिक यहाँ के स्थानिक है। हलाकि यहाँ की सबसे बड़ी समस्या वन भूमि का शहरीकरण होना है।
4. ओडिशा सेमी एवरग्रीन फारेस्ट: ये वन न तो स्थानिक स्तर से ऊँचा है और न ही एक प्रजाति समृद्ध से है। फिर भी ये जंगल टाइगर, एलीफैंट, बकरी जैसे जानवरों का घर है। ये जंगल प्राचीन बहुत प्राचीन है। यहाँ की वनस्पतियों की कई किस्मे है जिनके प्रजातियो को तीन भागो में विभाजित किया गया है।
5. साउथ वेस्टर्न घाट मोइस्ट डीसीडीऔस फॉरेस्ट्स: ये वन डेक्कन प्रायद्वीप में सबसे अधिक स्थानिक और प्रजाति से भरपूर वनस्पतिया है इन जंगल में टाइगर, भैसे, हाथी जैसे बड़े जानवर पाए जाते है। बड़े बड़े घांस के मैदान और पेच इन पर्णपती जंगलो की विशेषता है 12 साल के समय में एक बार नील करंजी नामक फूल नीले रंग से पहाड़ो को रंग देते है और ये हमारी आँखों के लिए बहुत फायदेमंद है। ये जंगल पश्चिमी घाट के दक्षिण हिस्से में मौजूद है और तमिलनाडु केरल राज्य में स्थित है।